समस्या पहचानें, समाधान खोजें: सुयश सिंह की प्रेरणादायक सोच

स्टूडेंट्स ने निकाले स्पेस समस्याओं के हल
स्पेस हैकाथॉन में लो कॉस्ट टेक्नोलॉजी के साथ भारत की विश्व स्तर प्रस्तुति, स्पेस टेक स्टार्टअप्स को समर्थन देना, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का स्पेस मिशन में उपयोगिता, शहरी विकास में सैटेलाइट डेटा का उपयोग एवं सैटेलाइट क्षमताओं में सुधार की तरफ कदम बढ़ने जैसे प्रमुख विषयों पर प्रॉब्लम स्टेटमेंट दिए गए है। इस प्रदर्शनी के उद्घाटन सत्र में, डॉ. ए.एस. किरण कुमार ने 2035 तक भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन की योजना की घोषणा की। इसी दौरान उन्होंने ने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत आपने कॉस्मोनॉट्स और व्योमनॉट्स( अंतरिक्ष यात्री) को अंतरिक्ष में भेजेंगे।उनका यह भी कहना है कि भारत ने हमेशा अंतरिक्ष अनुसंधान को सैन्य उद्देश्यों के बजाय वैज्ञानिक एवं विकासात्मक उद्देश्यों के लिए आगे बढ़ाया है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, “हर व्यक्ति में इतनी क्षमता है कि वह भारत को विश्व में शीर्ष स्थान पर पहुंचा सकता है।” इसके अलावा, सुयश सिंह (को-फाउंडर एवं सीईओ, गैलक्सआई स्पेस) ने अपनी प्रेरणादायक यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से न होते हुए भी वे आज एक सफल स्पेस टेक स्टार्टअप का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि हर समस्या को एक साथ हल करने की बजाय, एक समस्या चुनें और उसे पूरी तरह हल करें।

अगले कुछ वर्षों में भारत भेजेगा अपने कॉस्मोनॉट्स और व्योमनॉट्स (अंतरिक्ष यात्री) अंतरिक्ष में: डॉ. ए.एस. किरण कुमार
जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी और इसरो के सहयोग से इस क्षेत्र में 56 विद्यार्थी को इसरो में इंटर्नशिप करने का अवसर मिला, जो कि देश में सबसे अधिक संख्या है। यूनिवर्सिटी के डिजिटल स्ट्रैटेजिस्ट धीमंत अग्रवाल ने इस उपलब्धि को साझा किया वहीं वाइस चेयरपर्सन अमित अग्रवाल ने छात्रों को बड़े सपने देखने, नई ऊंचाइयों को छूने और अनूठे अनुभव प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। इसरो साइंस एग्जीबिशन न केवल एक शैक्षिक मंच है, बल्कि यह छात्रों को नवाचार के अवसर भी प्रदान करता है। यह आयोजन भारत के भविष्य के वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष खोजकर्ताओं को तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
