नीमकाथाना रोड स्थित ग्राम पंचायत कल्याणपुरा कलां के कुहाडा गांव की पहाड़ी पर स्थित छापा वाला भैरूजी मंदिर पूरे प्रदेश में अपनी पहचाने रखता है। प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले भैरू बाबा के भंडारे में करीब डेढ़ से 2 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। भैरू बाबा का मंदिर जमीन से 800 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ी पर स्थित है। भक्तों को भैरू बाबा के दर्शन के लिए 120 सीढ़ियां चढ़कर दरबार में पहुंचना होता है। मंदिर परिसर में भैरव बाबा, हनुमान, शंकर भगवान, देवनारायण महाराज, सवाईभोज, साडू माता, पदमा पोसवाल, दुर्गा माता की मूर्तियां है। मंदिर परिसर के अंदर भगवान देवनारायण व भैरू बाबा सहित अनेक प्रकार की चित्रकारी व उनका वृतांत लिखा हुआ है। पूरे मेले की व्यवस्था आसपास के ग्रामीण संभालते हैं। वार्षिकोत्सव पर बनी प्रसादी को इधर से उधर ले जाने के लिए ट्रैक्टर ट्राली को काम में लिया जाता है।

मंदिर का ये है इतिहास
पौराणिक मान्यता के अनुसार सोनगिरा पोषवाल प्रथम भैरूजी का परम भक्त था। जो भैरू बाबा की मूर्ति को कुहाड़ा गांव में स्थापित करना चाहता था। भैरू बाबा की मूर्ति लाने कांशीजी चला गया। भैरू ने स्वप्न में दर्शन देकर सोनगिरा से बड़े बेटे की बली मांगी। जिस पर वह बेटे की बली देकर भैरू मूर्ति लेकर चल देता है। भैरू बाबा बलिदान व परीक्षा से खुश होकर पुत्र को जीवित कर देते है। सोनगिरा पोषवाल प्रथम व उसके पुत्र ने पंच पीरों के साथ कुहाडा गांव में मूर्ति स्थापना की। स्थापना दिवस पर जागरण भण्डारे का आयोजन किया जाता है। मंदिर का पहला पांच मंजिला प्रवेश द्वार आकर्षण का केंद्र है।

खेजड़ी के वृक्ष की महिमा
ग्रामीणों के अनुसार यहां पंचदेव खेजडी वृक्ष की वर्षों से पूजा होती आ रही है। जिस स्त्री के संतान सुख नहीं है वह मंडप में उपस्थित जड़ के नीचे से निकलकर मन्नत मांगती है। मंदिर के आयोजन में खास बात यह होती है कि प्रसादी बनाने के लिए ग्रामीण हलवाई की बजाय खुद प्रसादी बनाते हैं। प्रसादी परोसने से लेकर पार्किंग व्यवस्था की कमान भी ग्रामीण ही संभालते हैं। इस मौके पर स्थानीय गायक कलाकार ढप की ताल पर धमाल गाते हैं। वार्षिकोत्सव पर वीआईपी लोगों का दिनभर आगमन रहता है। मेले वाले दिन हेलीकॉप्टर से मंदिर के ऊपर पुष्प वर्षा की जाती है। जो मेला का आकर्षण का केंद्र होता है।
